कोई मेरे पास ना बैठा
आज सब मेरे आस पास
नज़र आ रहे थे,
कोई तोहफा ना मिला
आज तक मुझे
और आज फूल ही फूल
दिए जा रहे थे,
तरस गया था मैं
किसी के हाथ से दिए
छोटे से इक रुमाल को
और आज नए नए कपडे
ओढ़ाये जा रहे थे,
दो कदम साथ ना चलने को
तैयार था कोई
और आज
काफिला बना कर जा रहे थे.....
आज पता चला
कि मौत इतनी हसीन होती है
कमबख्त हम तो
यूँ ही जिए जा रहे थे!