क्या वो दिन थे...........
माँ की गोद और पापा के कंधे
आज याद आ रहा है सब कुछ
छूटा जो पीछे...........
रोते रोते वो सो जाना
खुद से बातें करना खो जाना
वो माँ का आवाज़ लगाना
खाना हाथों से खिलाना
वो दिन भर पापा का रास्ता तकना
जिद पूरी होने का इंतज़ार करना,
क्या वो दिन थे बचपन के सुहाने
क्यों इतनी दूर सब कुछ हो गए,
अब जिद भी अपनी सपने भी अपने
किस से कहें क्या चाहिए.....
मंजिलों को ढूंढ़ते हुए खो गए
क्यों इतने बड़े आज हम हो गए ???
Saturday, October 16, 2010
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